Tuesday 22 January 2013

समाज के प्रति

समाज के प्रति सकारात्मक चिंतन और राजनीति में उस चिंतन को कार्यरूप में परिणित करना ..दोनों के मध्य बहुत बड़ा विरोधाभास है ..परिवर्तन की प्रक्रिया इतनी धीमी होती है ..नहीं के बराबर /





समाज हो या राजनीतिग्य ..अन्तत: चिंतन का परिणाम व्योक्तिओ के आचरण पर जा टिकता हैं /
जाति प्रथा हो ,धार्मिक उन्माद हो ,या नारी उत्पीडन हो ..सभी समाज की ईकाई "परिवार के व्यवहार पर" आधारित हैं ,परिवार अपने कुसंस्कारों को त्यागने पर बरसों लगा देते हैं

उदाहरण के लिए वर्तमान परिवेश में नारियों पर होने वाले अन्याय के प्रति उपेक्षा का भाव भी जैसे ठीक नहीं हैं /
किशोर कुमार खोरेन्द्र

Saturday 5 January 2013

स्वकेंद्रित हो कर खुश होना ..

स्वकेंद्रित हो कर खुश होना ..
एक टी वि ,एक फ्रिज ,एक ऐ सी ,एक कार ,एक घर ,उसी तरह एक पत्नी या एक पति फिर एक या दो बच्चे
फिर आफिस या मिल के कार्य  का बोझ ,..क्योंकि प्रत्येक माह वेतन मिलेगा तभी तो ,लोन में क्रय  की गयी घर और कार की किश्त ,बिजली  बिल ,
फोन का बिल ,नौकर का खर्चा ,बच्चों  के स्कूल की फ़ीस ,रसोई गैस की कीमत ,डाक्टरों को इलाज़ के लिए
भारी रकम ...पटा पायेंगे .आदि आदि और न जाने क्या क्या ..किसे फुर्सत है .की वह किसी की भलाई करने के लिए
माह में एक दिन का वक्त निकाल पाए ..या सोच पाए ...

किशोर

Friday 4 January 2013

प्रत्येक व्यक्ति को




प्रत्येक व्यक्ति को



प्रत्येक व्यक्ति को इस बात पर चिंतन करना चाहिए,
हिंसा दोनों तरह से होती है .शारीरिक भी और मानसिक भी
मानसिक रूप से स्त्रियों पर बरसों से किये जाते रहे उपेक्षा की भावना का ही यह दुष्परिणाम था/
पर
आज हम सब सकारात्मक रुख के लिए करोड़ों लोगो के रूप में एकत्रित भी तो हो रहे हैं
इसे क्या कहे ..यही तो है।।।
जागरूकता या आत्मविश्लेषण या हिंसा के खिलाफ अहिंसा का एकजुट प्रतिकार

kishor

Monday 31 December 2012

mere shiv mandir ke diipak me bane shiv ling ki tasviir

mere shiv mandir ke diipak me bane shiv ling ki tasviir






कानून का सख्त होना ज़रूरी हैं

सभ्यता का विकास निश्चित रूप से हुआ हैं ,आज साक्षर युवा युवतियों की संख्या में वृद्धी हुई हैं
आज की जागरूकता जो हमें दृष्टिगोचर हो रही है यह उसी का परिणाम हैं
लेकिन अपराधियों से निपटने का तरीका सौ साल पुराना हैं
बलात्कार जिसमे हिंसा हो ,स्त्री को जान से मार देने की कोशिश हो ,उसकी कानूनी प्रक्रिया इतनी धीमी होती है
की आखिर में अपराधी प्राय: छूट जाया करते हैं ,कुछ पीड़ित लडकियाँ या स्त्रियाँ थक हार कर खुदखुशी तक कर लेती हैं
कईयों को जीवन भर अपमानित रहना पड़ता हैं ,
समाज का नज़रिया पूरी तरह से बदलने में हो सकता है और दो चार {क्योंकि भावी पीडी जो आज के युवा है बहुत समझदार है ,इसमे कोई शक नहीं हैं} साल लगे
लेकिन कानून तो तुरंत सख्त हो सकता हैं .,कानून का सख्त होना ज़रूरी हैं ,पुराने वकील ,पुराने जज ,पुराने थानेदार ,पुराने राज नेता और पुराने लोग ..सभी आज दोषी हैं
आज का युवा वर्ग जो चाहता हैं वही होगा ,यानि की सख्त कानून ,शीघ्र सजा
अपराधियों का मन किस तरह का होता है ,इसका अध्ययन करने के साथ साथ ,उन्हें सजा में रियायत प्रदान करने की कम से कम गुन्जाईस हो इस बात का भी ख्याल रखा जाए

बलात्कार एक मनोविकार है जिसका स्त्री के कपड़ो के पहनावे से कोई सम्बन्ध नहीं हैं ,दरअसल वर्तमान समय मे जब लड़कियों ,महिलाओं को बड़े शहरों में नौकरी करने के अधिक अवसर मिल रहे है ऐसी स्थिति में उन सबकी सुरक्षा के लिए यह और भी जरूरी हो जाता है की ..
इस कुत्सित विकार से ग्रसित लोग दण्डित होने से डरे /शासन अपना काम पहले करे ,लोग अपने घरों के बच्चो को अच्छे संस्कार देंगे ही

किशोर कुमार खोरेन्द्र

Sunday 23 December 2012

shri shri ravishankar

मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर

01-सचिन ने 1989 में  अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण  किया था
23 वर्षों से रिकार्डों का अम्बार लगाने वाले मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने
आज 23-12-12 को एकदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय  क्रिकेट से सन्यास ले लिया /
किशोर