प्रत्येक व्यक्ति को इस बात पर चिंतन करना चाहिए,
हिंसा दोनों तरह से होती है .शारीरिक भी और मानसिक भी
मानसिक रूप से स्त्रियों पर बरसों से किये जाते रहे उपेक्षा की भावना का ही यह दुष्परिणाम था/
पर
आज हम सब सकारात्मक रुख के लिए करोड़ों लोगो के रूप में एकत्रित भी तो हो रहे हैं
इसे क्या कहे ..यही तो है।।।
जागरूकता या आत्मविश्लेषण या हिंसा के खिलाफ अहिंसा का एकजुट प्रतिकार
kishor
achha likha hai
ReplyDeleteshubhkamnayen